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माता-पिता अक्सर मुझसे पूछते हैं – “हम अपने बच्चे के साथ कैसे जुड़ सकती हैं? हमारा बच्चा बोल या समझ नहीं सकता!” ।
हाँ। बातचीत ही संबंध बनाने का मूल आधार है।
हालाँकि, बातचीत के लिए शब्दों की जरुरत नहीं होती है। एक स्पर्श, नज़र या कोई कदम ऐसी बातें कह सकती है जो शब्द व्यक्त नहीं कर सकते।
बातचीत के 3 सी सिद्धांत
बातचीत का तरीका जो भी हो – इसमें निम्नलिखित आधार ज़रूर शामिल होने चाहिए।
- सहानुभूति-
इससे आपके बच्चे को ये जरूर लगना चाहिए कि “मैं समझती हूँ, और मुझे तुम्हारी परवाह है”।
- जिज्ञासा –
इससे आपके बच्चे को ये जरूर लगना चाहिए कि “आप सबसे अलग और दिलचस्प हैं। मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।”
- सहयोग –
इससे आपके बच्चे को ये जरूर लगना चाहिए कि “आप सक्षम हैं और हम साथ में एक बढ़िया टीम बनाते हैं।”
अपने बच्चे के साथ संबंध कैसे बनाएं
- अपने बच्चे को गोद में रखें
त्वचा शरीर का सबसे बड़ा इंद्रिय अंग है। और जब आप अपने बच्चे अपनी गोद में लेते हैं तो आपका बच्चा असल में आपको अपने आप से जुड़ा और सुरक्षित महसूस करता है।
अपने बच्चे को अपने पास गोद में रखने से उसके बिगड़ने की चिंता न करें। जो बच्चे सुरक्षित हैं वे कभी नहीं बिगड़ेंगे ।
- अपने बच्चे को दूध पीने दें
मुंह और जीभ आपके बच्चे के सबसे संवेदनशील इंद्रिय अंग हैं। और दूध पिने से उन्हें आपके साथ एक गहरा जुड़ाव महसूस होता है। दूध पीते समय बच्चे अपनी आंखों से संवाद करते हैं क्योंकि वे जुड़ाव महसूस करते हैं।
दूध पिलाने से आपके शरीर में लव हार्मोन ऑक्सीटोसिन का स्तर भी बढ़ जाता है। और जब आप पीछे मुड़कर अपने बच्चे को देखते हैं और मुस्कुराते हैं और बात करते हैं – इससे आपका बच्चे के साथ एक बहुत गहरा संबंध बनता है।
बच्चे के ज़्यादा दूध पीने पर कभी भी उतावले न हों। जो बच्चा ज़्यादा दूध पीता है वह बहुत कम रोता है।
- रात को दूध पिलाते समय धैर्य रखें और बच्चे से प्यार करें
बच्चों को रात के समय सबसे ज़्यादा भूख लगती है। उनके रोने पर गुस्सा न करें। जब आपका बच्चा अकेला महसूस करे तो उसकी जरूरतों को समझे और पुरा करें और उसके साथ एक अच्छा संबंध बनाने की कोशिश करें।
- जब भी बच्चा रोए तो तुरंत उसके पास जाएँ
आपका बच्चा तभी रोता है जब वह पूरी तरह से असहाय और परेशान होता है।
सबसे गहरा संबंध तब बनता है जब आप अपने बच्चे को उनकी परेशानी से बचाते हैं या कम से कम ऐसा करने की कोशिश करते हैं।
- अपने बच्चे से गाना गाते हुए बात करें
जब आप ऊंचे स्वर में गाने वाली आवाज में बोलते हैं तो बच्चे आपको सुन सकते हैं। और वे आपकी आवाज़ के स्वर और तौर-तरीकों से समझ सकते हैं कि आप क्या कह रहे हैं।
अपने बच्चे की आवाज़ों का जवाब दें। ये बात करने की कोशिश कर रहे हैं। सुनना और जवाब देना ही बातचीत का सबसे अच्छा तरीका है।
- बच्चे को देखें कि वो किस चीज़ पर ध्यान दे रहा है
जब आप देखें कि आपका बच्चा किसी चीज़ को गौर से देख रहा है – उसके ध्यान पर नज़र रखें। उस चीज़ के बारे में बात करना शुरू करें जो आपका बच्चा देख रहा है। उसके बारे में खुल कर बताएं। उसे बताएं कि यह क्या है, यह क्या करता है। अगर संभव हो तो उन्हें दिखाएं कि यह कैसे काम करता है। और अगर हो सके हैं तो इसे अपने बच्चे को छूने और महसूस करने के लिए दें।
- ना नहीं कहें
जैसे-जैसे आपका बच्चा बड़ा होगा – वो कुछ ढूंढने और प्रयोग करने की कोशिश करेंगे।
अपने घर को बच्चे के लिए सुरक्षित बनाएं ताकि आपको ना कहकर उन्हें बार-बार रोकना न पड़े। उन जगहों पर सुरक्षित कीटाणुनाशक से स्प्रे करें जहां वे रहते हैं और खेलते हैं।
बच्चों को स्वाभिमानी बनाने के लिए चुनौतियों को पार करना होगा। और जब आप उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित करते हैं – यह आपके और आपके बच्चे के बीच एक गहरा विश्वास और संबंध बनाता है।
माता-पिता के रूप में, इस बात को समझना ज़रूरी है कि आप अपने बच्चे के साथ कैसे संबंध बनाते हैं, क्योंकि माता-पिता के साथ संबंध शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक विकास का आधार होता है।
डॉ. देबमिता दत्ता एमबीबीएस, एमडी
द्वारा
डॉ देबमिता दत्ता एक पेशेवर डॉक्टर हैं, पेरेंटिंग सलाहकार (कंसल्टेंट) और वेबसाइट डब्ल्यूपीए whatparentsask.com की संस्थापक हैं – वह बैंगलोर में स्थित हैं और स्कूलों और कॉर्पोरेट संगठनों में पेरेंटिंग वर्कशॉप आयोजित करती हैं। वह गर्भवती माता-पिताओं के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रसवपूर्व कक्षाएं और हाल में बने माता-पिताओं के लिए शिशु देखभाल की कक्षाएं भी आयोजित करती हैं।
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