उनके बाल सफ़ेद, दिल सोने के, हाथ में समय ही समय

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दादा-दादी सबसे मज़ेदार लोग होते हैं जिनके साथ रहना बहुत अच्छा लगता है! अपने दादाजी की सांता क्लॉज़ जैसी दाढ़ी खींचना याद है ना? और जब आपकी दादी हर जगह अपनाचशमा ढूंढ-ढूंढ कर थक जाती थीं, और उन्हें चश्मा मिलता उनके सिर पर? दादा-दादी के बारे में एक बात है कि उनकी शुरुआत एक सख्त माता-पिता तौर पर हुई होगी, लेकिन जब उनके नाती पोते हुए, तो वे सबसे कूल दादा-दादी बन जाते हैं। यह देखकर ऐसा लगता है कि जैसे वे अपनी पिछली सभी गलतियों को सुधारना चाहते हैं।

खूब सारे लाड़-प्यार और दुलार के अलावा, दादा-दादी भी बच्चों को काफी मजबूती और सपोर्ट देते हैं। वास्तव में एक छोटे बच्चे का अपने दादा-दादी के साथ संबंध उसके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण निर्माण हिस्सों में से एक है। समस्या यह है कि आजकल अधिकांश आधुनिक परिवार पश्चिमी संस्कृति पर चलने लग गए हैं: एकाकी परिवार। बच्चों के पास अपने पूरे परिवार, खासतौर उनके दादा-दादी से मिलने के लिए बहुत कम समय मिलता है।

लेकिन हम वाकई में यह मानते हैं कि मातापिता को अब ऐसा करने का समय आ गया है और उन्हें इसकी कोशिश भी करनी चाहिए कि उनके छोटे बच्चे अपने दादादादी के साथ थोड़े समय की बजाय ज्यादा समय बिताएं। यहाँ पर बतया गया है कि ऐसा क्यों करें:

1. दादादादी पहले ही यह सब कर चुके हैं

गंदे डायपर? पोटी की ट्रेनिंग ? एक शोर मचाता हुआ बच्चा ? दांत आते समय होने वाली परेशानी? नहीं, हम आपके बच्चे के बारे में बात नहीं कर रहे हैं, हम आपके बारे में बात कर रहे हैं। आपके माता-पिता (और आपके पति के माता-पिता) ये सभी माँ और बाप बनने से जुड़े सभी कष्टों से गुजरे हैं। आपके बच्चे के बारे में वो बिलकुल भी कनफ्यूज़ नहीं होंगे या उन्हें यह नया परेशानी भरा नहीं लगेगा! जो उन्हें वास्तव में अद्भुत देखभालकर्ता बनाता है। वे हमेशा आपके बच्चे के लिए मौजूद रहेंगे। जैसे कि वे हमेशा आपके लिए रहे हैं। बोनस: अपने पोते-पोतियों के साथ समय बिताना उनके जीवन की सबसे बड़ी खुशियों में से एक है। इसलिए अपने बच्चे और अपने माता-पिता को खुश कर ने के लिए उन्हें एकदूसरे से ज्यादा से ज़्यादा मिलने दें।

2. छोटी कलियों को भी, मजबूत जड़ों की जरूरत होती है।

अधिकांश विशेषज्ञों का कहना है कि शिशु अपने जन्म के बाद दूसरे महीने में चेहरों को पहचानना शुरू कर देते हैं। अपने दादा-दादी के साथ निकटता शिशुओं को उन्हें बहुत आसानी से पहचानने में मदद करती है। यह आपके बच्चे को सहज रूप से यह भी बताएगा कि आपके सास और ससुर और माता-पिता, प्रियजनों का एक और समूह हैं जिस पर वह पूरी तरह से भरोसा कर सकता है।

दादा-दादी भी अपनी छोटी प्यारी गुड़िया को सभी लोगों को दिखाना पसंद करते हैं। जिसका मतलब है कि पार्कों और सैरगाहों के लिए नियमित रूप से जाया जाता है। बाहर का यह अहसास आपके बच्चे के लिए और बुजुर्गों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है – यह दोनों को स्वस्थ बनाता है। इसके अलावा, जब भी बच्चे अपनी दादी या नानी से मिलने जाते हैं, तो वे आमतौर पर अपने चचेरे भाइयों और परिवार के अन्य सदस्यों से भी मिलते हैं। यह आपके बच्चे में एक मजबूत पारिवारिक बंधन स्थापित करता है और उनके भावनात्मक और मानसिक विकास में मदद करता है! अपने चचेरे भाई-बहनों को तो भूल ही जाइए, आपके माता-पिता के पड़ोसी भी अपने घर से भागे भागे चले आएंगे(जैसे मधुमक्खी शहद पर इकट्ठी हो जाती है), जब आपका बच्चा वहाँ पहुंचेगा। उसके नन्हें नन्हें गालों को प्यार से सहलाया जाएगा शायद लिपस्टिक के निशान भी लग जाएँ, चिंता मत करो! आपके बच्चे को पूरी तरह से प्यार किया जा रहा है।

इस तरह की निकटता के कई फायदे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ वर्गीस कोशी, बाल रोग में एमडी, बिशप और बेंजीगर अस्पताल, कोल्लम, केरल के एक सलाहकार बाल रोग विशेषज्ञ (25 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ) दादा-दादी की भूमिका पर प्रकाश डालते हैं जो बच्चे के विकास और वृद्धि में अहम भूमिका निभाते हैं। वे कहते हैं, “दादा-दादी एक बच्चे के लिए एक कंफ़र्ट ज़ोन है। बच्चे अपने दादा-दादी से बिना किसी झिझक के बात कर सकते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि वे उन पर चिल्लायेंगे नहीं। साथ ही, दादा-दादी के पास बच्चे की परवरिश करने के बारे में समझदार राय है, आखिरकार उन्होने भी दुनिया देखी है। हालांकि उन्होंने माता-पिता को चेतावनी दी कि वे अपने बच्चों को दादा-दादी के साथ पूरी तरह से न छोड़ें क्योंकि यह बच्चों को बिगाड़ सकता है। आखिरकार किसी एक को तो बच्चों के लिए सख्त होने की जरूरत है।”

3. स्मार्ट मांएं जानती हैं कि करियर और देखभाल करने वालों को साथ-साथ लेकर कैसे चलते हैं।

मैटरनिटी लीव्स की एक सबसे बुरी बात कि वो खत्म हो जाती हैं। हालाँकि, काम पर वापस जाना माँ और बच्चे दोनों के लिए कठिन हो सकता है। अगर आप बच्चा होने के बाद काम करने का फैसला करती हैं, तो सबसे बड़ी चिंता यह होगी कि जब आप ऑफिस जा रहे हों तो अपने बच्चे को कहाँ रखा जाए।

हम क्या कह सकते हैं? बस याद रखें ‘दादा’ सिर्फ ‘ए डैड’ है जिसे अलग तरह से लिखा गया है। और कोई भी नैनी, नानी की बराबरी नहीं कर सकती। सबसे भरोसेमंद देखभाल करने वाले जो आप अपने बच्चे को कंपनी देने के लिए पाएंगे, वे हैं आपके ससुराल वाले या आपके माता-पिता। वे आपके बच्चे की ठीक वैसे ही देखभाल करेंगे जैसे आप करती हैं। कभी कभी तो और भी अच्छे तरीके से।सबसे बढ़िया बात ? बदले में वे केवल अपनी नन्ही परी के साथ और भी अधिक समय चाहते हैं।

तो अपने आप को, अपने बच्चे को, अपने माता-पिता और अपने ससुराल वालों को एक उपहार दें। दादा-दादी को अपने पोते-पोतियों के साथ एक शानदार समय बिताने का मौका दें।

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