अपना दूध पिलाने के साथ-साथ एक हेल्दी पंपिंग रूटीन बनाए रखना

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जो ज़्यादातर माएं मेरी प्रसवपूर्व कक्षाओं में आती हैं, वे शुरुआती छह महीनों में विशेष रूप से स्तनपान करना चाहती हैं। और तब तक स्तनपान कराना जारी रखना चाहती हैं जब तक कि उनका बच्चा खुद ही यह आदत ना छोड़ दे। इसका कारण यह है कि उन्हें अच्छी तरह से बताया गया है और वो यह जानती भी हैं कि उनके बच्चे के लिए स्तनपान कितना ज़रूरी है।

लेकिन हकीकत यह है कि स्तनपान कराना आसान नहीं है। और इतने महीनों तक स्तनपान बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

इसलिए ब्रेस्ट पंप नई माताओं के जीवन को आसान बनाने के लिए लाया जाता है।

बेशक,  खुद से दूध पिलाना पंपिंग से कई ज़्यादा अच्छा है और जब भी संभव हो स्तनपान ही करना चाहिए। लेकिन ऐसी कई स्थितियां हैं जहां ब्रेस्ट पंप एक वरदान हो सकता है।


पंपिंग कई स्थितियों में बहुत उपयोगी हो सकती है

  1. जब आपको लगे कि आपको ज़्यादा दूध की ज़रूरत है। हर बार अपना दूध पिलाने के बाद और लगातार नियमित अंतराल पर जब बच्चा सो रहा होता है, तो आप अपने दूध की ज़्यादा मांग को देखते हुए बच्चे की ज़रूरत को पूरा करने में मदद कर सकती है
  2. जब आपके ब्रेस्ट दूध से भरे हुए हों – तो थोड़ा दूध निकालने से दर्द कम हो सकता है और बच्चे को ज़्यादा दूध मिल सकता है
  3. जब आप अपना जॉब फिर से शुरू करना चाहते हैं लेकिन नहीं चाहते कि आपके ना होने की वजह से आपके बच्चे को परेशानी सहनी पड़े।
  4. जब आप थके हुए हों और आपको आराम और थोड़ी नींद चाहिए – तो आप किसी को आपकी अनुपस्थिति में बच्चे को दूध पिलाने के लिए कह सकती हैं। इससे आप बिना खुद को बिना मतलबी माने अपना काम कर सकती हैं
  5. जब आप अपने बच्चे के पहले ठोस खाने के साथ अपने दूध को मिलाना चाहें तो इससे आपके बच्चे को परिचित होने का एहसास होगा

अपना दूध पिलाने के साथ-साथ पंपिंग रूटीन कैसे बनाए रखें?

पहले अपने आप से पूछें “मैं क्यों पंप कर रही हूँ?”

मुख्य कारण हैं –

  1. मैं ब्रेस्टमिल्क की मात्रा बढ़ाना चाहती हूँ।
  2. जब मैं काम पर होती हूँ तो मैं वहाँ पर एक अलग जगह बनाने की कोशिश कर रही हूं, जहाँ मैं ब्रेस्टपंप का इस्तेमाल कर सकूँ।

पहला कारण

अगर आप अपने दूध की आपूर्ति बढ़ाना चाहते हैं तो निम्न कार्य करें –

  1. जितनी बार हो सके, पंप करें।
  2. हर बार अपना दूध पिलाने के बाद पंप करें।
  3. नर्सिंग की ज़रूरत को पूरा करें।
  4. स्थिति को देख कर सोचें और जरूरत पड़ने पर अपना दूध पिलाने को प्राथमिकता दें।
  5. हर तीन घंटे बाद ब्रेस्ट को खाली करने के लिए पंप करें।

दूसरे कारण के लिए

अगर आप काम पर दूर रहने के दौरान बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के लिए पंप कर रहे हैं-

  1. यह पता लगाएँ कि आप अपने बच्चे से कितने घंटे दूर रहने वाली हैं और उस समय के लिए आपको कितना दूध जमा करने की ज़रूरत है। फिर यह जानें कि आप हर बार कितना दूध पंप कर सकती हैं और फिर तय करें कि आपको कितनी बार पंप करना होगा।
  2. बच्चे के सोते समय सुबह जल्दी पंप करें।
  3. बच्चे के उठते ही पहली बार उसे अपना दूध पिलाएं और अगली बार घर से निकलने से पहले।
  4. जॉब पर, ढाई घंटे के अंतराल पर तीन बार पंप करें।
  5. शाम को बच्चे के मांगने पर उसे अपना दूध पिलाएं।
  6. बच्चे के सोने से पहले एक बार और एक बार खुद के सोने से पहले अपना दूध पिलाएं।
  7. जब आप बच्चे के साथ सोते हैं तो रात भर ज़रूरत पड़ने पर बच्चे को अपना दूध पिलाएं।

आज की भाग दौड़ भरी दुनिया में – पंपिंग का मतलब खुद को मतलबी महसूस कराना नहीं हो सकता है और जब आप माँ की भूमिका निभाते हैं तो आपको खुद को नहीं खोना हैं। सौभाग्य से, आजकल ब्रेस्ट पंप छोटा, ले जाने में आसान, किफायती और इस्तेमाल करने में आसान हैं और उनका इस्तेमाल आधुनिक मल्टीटास्किंग माँ के जीवन को बहुत आसान बना सकता है।

डॉ. देबमिता दत्ता एमबीबीएस, एमडी

द्वारा

डॉ. देबमिता दत्ता एक प्रैक्टिसिंग डॉक्टर, पेरेंटिंग कंसल्टेंट और वेबसाइट डब्ल्यूपीए whatparentsask.com की संस्थापक हैं – वह बैंगलोर में रहती हैं और स्कूलों व कॉर्पोरेट संगठनों में पेरेंटिंग वर्कशॉप आयोजित करती हैं। वह गर्भवती माता-पिताओं के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रसवपूर्व कक्षाएं और हाल में बने माता-पिताओं के लिए शिशु देखभाल की कक्षाएं भी आयोजित करती हैं।

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