गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस से निपटने के लिए कुछ टिप्स

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मॉर्निंग सिकनेस गर्भावस्था के दौरान सबसे आम लक्षणों में से एक है और ये सबसे ज़्यादा परेशान करती है।

मॉर्निंग सिकनेस का मतलब है गर्भवती महिला का जी मचलना और उल्टी का एहसास होना। यह शब्द थोड़ा भ्रामक है क्योंकि इसका शाब्दिक मतलब है कि जी मचलना और उल्टी जो केवल सुबह तक सीमित होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। मॉर्निंग सिकनेस दिन के किसी भी समय हो सकती है।

उल्टी जैसा मन होना एक अच्छा एहसास नहीं है, और कई माँ बनने वाली औरतें जो मुझसे सलाह लेती हैं, वो शुरुआत में चिड़चिड़ा महसूस करने के बाद धीरे-धीरे उदास होने की स्थिति में चली जाती हैं।

जब जी मचलने के कारण आप उदास होती हैं तो क्या करने से मन अच्छा होता है?

  • यह जानकर कि मतली का कारण क्या है
  • यह मानते हुए कि गर्भावस्था में जी मचलना एक अच्छी बात है।
  • इस बात को समझना कि जी मचलने को कम करने के लिए आप क्या कर सकते हैं

मॉर्निंग सिकनेस का क्या कारण है?

मॉर्निंग सिकनेस होने का सही कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन निम्नलिखित कारण इसकी वजह हो सकते हैं।

  1. एस्ट्रोजन का बढ़ना
  2. एचसीजी का बढ़ना
  3. धीरे खाना पचना
  4. ज़्यादा गंध आना
  5. चिंता और तनाव

मॉर्निंग सिकनेस के समय खुद को खुश कैसे रखें?

जब जी मचलने के कारण आप उदास महसूस करें तो ये बाते याद रखें

  1. उल्टी होना इस बात का सबूत है कि आपकी गर्भवस्था को अच्छी से बनाए रखने के लिए आपके शरीर में ज़रूरी हार्मोन्स हैं।
  2. ये बेचैनी की भावना जो आपको खाने की हर चीज की तरफ संदेह से देखने के लिए मजबूर करती है, ये आपके बच्चे तक वो खाने पहुंचने से रोकती है जिसमे टॉक्सिन पदार्थों होते हैं।
  3. आप ठीक से खाने न खाकर अपने बच्चे को भूखा नहीं रख रही हैं। पहली तिमाही में आपका शिशु इतना छोटा होता है कि उसे पोषण देने के लिए आप गर्भावस्था से पहले जितना खा रही थी उससे ज़्यादा खाना खाने की ज़रूरत नहीं है।

मॉर्निंग सिकनेस से निपटने के लिए कुछ टिप्स

  1. जल्दबाजी न करें : सुबह जागने के तुरंत बाद अचानक से बिस्तर से न उठें। उठने से पहले कुछ समय बिस्तर पर लेटे रहें।
  2. जागते के बाद जड़ी से कुछ खाएं- आमतौर पर खाली पेट होने पर आपका जी मचल सकता है। जैसे ही आप जागते हैं, कुछ सूखा, नमकीन और कुरकुरा जैसा खाएं।

3. अपने ब्लड शुगर को स्थिर रखें – ब्लड शुगर बढ़ने या घटने से जी मचल सकता है। हर थोड़ी देर बाद कम मात्रा में खाना खाएं।

4. अपने खाने को संतुलित करें – ज़्यादा शक्कर वाला खाना खाने से जी ज़्यादा मचल सकता है। उन खाद्य पदार्थों को खाने की कोशिश करें जिसके हर निवाले में काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट हो।

5. आसानी से पचने वाले मसाले डालें – पाचन को आसान बनाने के लिए अदरक, जीरा, हिंग एवं अजवायन जैसे मसालों का इस्तेमाल करें। खाना न पचने से भी मतली हो सकती है।

6. तेज गंध से बचें- गर्म खाने की जगह ठंडा खाना खाएं ताकि खाने की गंध से आपका जी न मचले।

7. खुद को हाइड्रेट रखें – छोटे घूंट लेकर पानी पिएं। एकदम से पानी न पिएं। डिहाइड्रेशन(पानी की कमी) से आपको उल्टी जैसा महसूस हो सकता है साथ ही ज़्यादा पानी पीने से भी।

8. ज़्यादा तले-भूनें खाने से बचें- जिस खाने में फैट की मात्रा ज़्यादा होती है उन्हें पचने में भी ज़्यादा समय लगता है और इससे जी मिचलने की समस्या हो सकती है।

9. इधर-उधर घूमें- जब आपको उल्टी होने का मन हो,  तो इधर-उधर घूमकर अपना ध्यान भटकाएं। बाहर की ताजी हवा लेने की कोशिश करें।

10. आराम करें – जब आप ज़्यादा थक जाते हैं, तब आपका जी ज़्यादा मचलने लगता है।

याद रखें, कुछ हद तक जी मचलना आम बात है, लेकिन अगर आपको बहुत ज़्यादा उल्टी हो रही है तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। उल्टी को रोकने और इसके बाद होने वाले डिहाइड्रेशन को सही करने के लिए आपको दवा की ज़रूरत हो सकती है।

डॉ. देबमिता दत्ता एमबीबीएस, एमडी

द्वारा

डॉ देबमिता दत्ता एक प्रैक्टिसिंग डॉक्टर, पेरेंटिंग कंसल्टेंट, प्रकाशित पेरेंटिंग लेखक और अपनी वेबसाइट डब्ल्यूपीए whatparentsask.com की संस्थापक हैं – वह बैंगलोर में रहती हैं और स्कूलों और कॉर्पोरेट संगठनों में पेरेंटिंग पर ऑनलाइन और ऑफलाइन वर्कशॉप आयोजित करती हैं। वह गर्भवती माता-पिताओं के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रसवपूर्व कक्षाएं और हाल में बने माता-पिताओं के लिए शिशु देखभाल की कक्षाएं भी आयोजित करती है।

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